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पंक्तियां
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मंजिल की ओर
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ऋतुराज लेकर आ गया अपना नया साल देखो फूले सरसो से लेकर कचनार, ...
एक किताब के अंदर कुछ रेखांकित की गयी पंक्तियों की तरह... ज ...
क़लम से सलाम लिखता हूं। मोहमद रफ़ी के नाम लिखता हूं। सलाम है ...
बेफिक्र हम चल पड़े मंजिल की ओर, ना मिला ठिकाना ना मिला कोई ...
वीरवार: खींचे बनके चुंबक अपनी ओर, बारिश में ही सदा नाचता मोर ...
जब आदमी जीवन में हार कर परेशान हो जाता है तो अंधविश्वास की औ ...
भैया मेरे राखी की डोर, खींच लेता बहन को सदैव अपनी ओर। नीरजा ...
शून्य से शुरू हुई, शून्य पर हुई खत्म, और जिंदगी भर जिंदगी, आ ...
शून्य से शुरू हुई, शून्य पर हुई खत्म, और जिंदगी भर जिंदगी, आ ...
शून्य से शुरू हुई, शून्य पर हुई खत्म, और जिंदगी भर जिंदगी, आ ...
शून्य से शुरू हुई, शून्य पर हुई खत्म, और जिंदगी भर जिंदगी, आ ...
शून्य से शुरू हुई, शून्य पर हुई खत्म, और जिंदगी भर जिंदगी, आ ...
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